>> Friday, May 29, 2009
मूक फिल्मों के दौर में हिंदी फिल्म जगत के जनक दादा साहब फाल्के द्वारा बनाई गयी एनीमेशन फिल्म आगकाड्याचा मौज (१९१७) से ले कर दूरदर्शन पर आनेवाली स्विम्मी मछली की कहानी, एक चिडिया और वहाँ से आज के दौर में निक/NICK पर प्रसारित हो रहे लिटिल कृष्णा (भारतीय स्टूडियो बिग एनीमेशन द्वारा बनायीं प्रथम हाई एंड 3D टीवी सीरीज़) तक भारतीय एनीमेशन ने एक बहुत बड़ा सफ़र तय किया है। नवीनतम टेक्नोलॉजी की मदद से फैंटेसी और एडवेंचर्स से भरी कहानियों वाली इस सीरीज़ के साथ भारतीय एनीमेशन ने सफलता का उत्साहजनक नया आयाम गढा है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय एनीमेशन के मंच पर भारतीय एनीमेशन का सच्चा सफर अब शुरू होता नज़र आ रहा है और लिटिल कृष्णा को इस दिशा मे बढ़ा पहला कदम कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी।
सपनों को साकार करना हर किसी का उद्देश्य होता है और एनीमेशन की दुनिया की शुरुआत ही सपनों को हकीक़त में बदलने से होती है। एनीमेशन वह कला है जो कल्पनाओं की उड़ान को तकनीक के पंख दे कर एक ऐसा स्वप्नलोक रचने में मदद करती है जिसकी कल्पना दर्शकों ने भी कभी न की हो और यही वजह है कि दर्शकों ने एनीमेशन फिल्मों को सदा हाथों हाथ लिया है।
मनोरंजन के माध्यम के रूप में एनीमेशन एक लंबे समय से भारतीय दर्शकों का मन बहलाता रहा है और एक इंडस्ट्री के रूप में एनीमेशन अपने पुराने आदिम स्वरुप से मुक्त हो कर आज एक नए अवतार के साथ हमारे सामने है। PWC और Cygnus Research के मुताबिक भारत में एनीमेशन, VFX और गेमिंग इंडस्ट्री 25% की दर से बढ़ रही है और 2012 तक भारतीय एनीमेशन चालीस मिलियन अमेरिकी Dollars की इंडस्ट्री बन चुका होगा।
बिग एनीमेशन के CEO आशीष S.K.कहते हैं, " भारतीय संस्कृति मे कहानियों को एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और हमारे संस्कारों में इन कहानियों की जड़ें इतनी गहरी और मज़बूत हैं कि उन कहानियों के बिना हमारी संस्कृति और सभ्यता का इतना मुखर हो पाना असंभव था. भारतीय एनीमेशन इन कहानियों को ना केवल जीवित रख रहा है बल्कि आनेवाली पीढियों को भी हमारी सांस्कृतिक विरासत से परिचित करा रहा है।"
आज एनीमेशन इंडस्ट्री एक उत्साहजनक भविष्य की ओर अग्रसर है क्योंकि आज का मुख्य दर्शक वर्ग, युवाओं का एक ऐसा जागरूक वर्ग है जिसके लिए मनोरंजन के माध्यम से कहीं अधिक मनोरंजन का यूनिक होना मायने रखता है और ऐसे में एनीमेशन उनकी इस आवश्यकता को पूरा करने में एक बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। इस तरह अब एनीमेशन सिर्फ़ बच्चों के मनोरंजन तक सीमित न रह कर हर आयुवर्ग के दर्शक को लुभाने में सक्षम है।
एनीमेशन अब सिर्फ़ मनोरंजन का साधन न रह कर कम्युनिकेशन के सरलीकरण का भी माध्यम बन चुका है। मेडिकल साईंस हो या इंजीनियरिंग, अंतरिक्ष रिसर्च हो या अन्य कोई भी इंडस्ट्री, सभी में एनीमेशन की मदद ली जा रही है। जहाँ एक तरफ़ चारों ओर से आती एनीमेशन की आवश्यकता को नकारना असंभव है, वहीं आज के दर्शक वर्ग का रुझान अंतर्राष्ट्रीय स्तर के एनीमेशन की ओर होने की वजह से भारतीय एनीमेशन की अंतर्राष्ट्रीय स्तर के एनीमेशन से तुलना होना भी नकारा नहीं जा सकता।
भारतीय एनीमेशन इंडस्ट्री एकजुट हो कर इस कड़ी चुनौती का सामना करने को तैयार हो रही है, जहाँ एनीमेशन इंडस्ट्री से जुड़े लोग अपनी क्षमताओं और कला को तराश कर उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने में जुटे हैं वहीं BIG AIMS (www.bigaims.in, BIG Animation (I) Pvt. Ltd. का उपक्रम) जैसे संस्थान की शुरुआत को भारतीय एनीमेशन की दुनिया में एक सुखद/क्रांतिकारी पहल कहा जाए तो ग़लत ना होगा। BIG AIMS के एडवांस कोर्सेस में एनीमेशन के विद्यार्थियों को ना केवल एनीमेशन के बेसिक्स का बुनियादी ज्ञान दिया जाता है वरन उन तकनीकी और कलात्मक पहलुओं पर भी बारीकी से प्रकाश डाला जाता है जिनके बिना आज की चुनौती भरी एनीमेशन की दुनिया में कदम रखना संभव नहीं। BIG AIMS को और भी विश्वसनीय बनाता है उसका BIG Animation जैसे अग्रणी एनीमेशन स्टूडियो से सम्बद्ध होना। यहाँ विद्यार्थियों के लिए Quad Core Workstations, 5.1 Dolby Digital Auditorium, डिजीटल आर्ट के लिए Cintiq Machines, High Resolution Projector Classroms जैसी कई विश्वस्तरीय सुविधायें भी उपलब्ध हैं ताकि उनकी प्रतिभा का सही दिशा में विकास हो। ये सारी सुविधायें उनको एनीमेशन की बारीकियां सीख कर अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों पर खरा उतरने में सहायक होंगी।
BIG AIMS में कला और विज्ञान के इस अनूठे संगम की यह शिक्षा और भी विशेष बन जाती है क्योंकि यहाँ यह शिक्षा दे रहे हैं लिटिल कृष्णा के निर्माण से जुड़े वे लोग जिनकी प्रतिभा का लोहा सबने माना है। BIG AIMS का सबसे बड़ा लक्ष्य है सही तरीके से प्रतिभाओं का चयन और उनका विकास ताकि आनेवाले समय में भारतीय एनीमेशन विश्व एनीमेशन के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल सके और स्वदेशी प्रतिभाओं की अंतर्राष्ट्रीय एनीमेशन इंडस्ट्री में भरपूर मांग हो।
भारतीय एनीमेशन में नए ओरिजनल कॉन्टेंट और आई पी क्रियेशन की ओर भी रुझान बढ़ रहा है, जिसके साथ ऐसे प्रशिक्षित लोगों की कमी महसूस होने लगी है, जो इनको वह स्वरुप दे सकें जो अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों पर पूरी तरह से खरा उतर सके और भारतीय एनीमेशन को एक नया आयाम दें।
भारतीय एनीमेशन इंडस्ट्री आज एक नए उत्साह के साथ कदम बढ़ा रही है एक उज्जवल भविष्य की ओर जहाँ सपनों को कला और कल्पनाओं के इन्द्रधनुषी पंख उस ऊंची उड़ान पर ले जाने को तैयार हैं जहाँ हकीक़त और सपनों को अलग करती वह अदृश्य रेखा धुंधली होते होते कहीं दूर क्षितिज में विलीन सी हो गई है।